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विश्व हिन्दी दिवस |अनन्तराम चौबे अनन्त

युगो युगो से बोली जाती

सबके के मन को हिन्दी भाती

बुन्देली  बघेली भोजपुरी हो

हिन्दी मिलकर बोली जाती ।


विश्व में हिन्दी भाषा प्यारी है 

सब भाषाओं से न्यारी है ।

मान करो सम्मान करो

सब मिलकर गुणगान करो ।


द्वापर त्रेता सतयुग कलयुग 

में हिन्दी ही बोली जाती थी ।

काव्य पुराण बने हिन्दी में

रामायण भी है हिन्दी में ।


कवितायें और उपन्यास भी

हिन्दी में ही बहुत लिखे गये हैं ।

हिन्दी भाषी  भी बहुत क्षेत्र है 

देश में हिन्दी के कई प्रदेश है ।


पंजाबी हरियाणवी हो

राजस्थानी या गुजराती है।

उर्दू वंगाली भाषाओ में

मिश्रण हिन्दी ही रहती है ।


हिन्दुस्तान की हिन्दी भाषा

राजभाषा का दर्जा पाई है ।

यही दुर्भाग्य हिन्दी का है

राष्ट्रभाषा नही बन पाई है ।


हिन्दी का दुर्भाग्य कहो 

या फिर दुर्भाग्य हमारा है ।

निजी स्वार्थो के कारण ही

नही हो पाया भाई चारा है ।


ऐसी भाषा हिन्दी प्यारी

हिन्दी को नमन हमारा है ।

आज के दिन मनाये खुशी से

विश्व हिन्दी दिवस ये प्यारा है  ।


                 अनन्तराम चौबे अनन्त 

                      जबलपुर म प्र