एक दीया एक दीया जलाओ विश्वास का । सबके हौसले और आस का । हो या जात धर्म से बहुत दूर । हो इसमें इंसानियत का नूर । रूहानियत और मूल्यों से भरपूर। उसपे …
Read more »भगवान विश्वकर्मा जयंती/अभियंता दिवस पर (१७ सितंबर) पर पर विशेष ब्रह्माण्ड के पहले शिल्पकार
Read more »बड़ा ड़र लगता है बड़ा ड़र लगता है मुझे अपनी परछाई से, जब मैं चलता हूं वो भी चलती है बिलकुल चिपकी हुई। मैं उसे भगा भगा कर थक गया हूं वो कदापि नहीं भ…
Read more »मुक्तक वो घर छोड़कर जाने लगे थे हाथ छुड़ाकर भागने लगे थे जाने क्या थी उनको जाने की खुद को मुझसे हटाने लगे थे। अशोक बाबू माह…
Read more »हनुमान जन्मोत्सव (6अप्रैल) पर विशेष रामभक्त हनुमान जी चिरंजीवी परमभक्त, भगवान राम के अनन्य सेवक बजरंगबली हनुमान जी का जन्मोत्सव आज है जिसे दुनिया …
Read more »हे राम जी! मेरी गुहार सुनो हे राम जी! मेरी पुकार सुनो एक बार फिर धरा पर आ जाओ धनुष उठाओ प्रत्यंचा चढ़ाओ कलयुग के अपराधियों आतताइयों, भ्रष्टाचारियों …
Read more »( जाने माने कवि सुमित्रानंदन पंत, हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्…
Read more »बारिश थम गयी है पंछी पर फड़फड़ाने लगे हैं चोंच से खुद को संवारने लगे हैं चलो, बाहर निकलते हैं हम भी खेलने करने मौज - मस्ती। बाहर अनेक बच्चे, बूढ़े,…
Read more »वह माँ है उसने आज फिर अपने पर पसार लिये और स्तंभ सी छतरी बन खड़ी हो गयी नन्हें- मुन्ने बच्चों की खातिर, क्योंकि बा…
Read more »मुक्तक छुप गये सितारे अभी अभी चाँद भी छुप गया अभी अभी करने लगे सवाल कुछ लोग क्यों बढ़ गया तिमिर अभी अभी । …
Read more »आज मेरा जन्मदिन आज एक जुलाई है मेरा जन्मदिन भी है मगर इसमें खास क्या है? एक जुलाई तो अनंत काल तक आयेगा पर मेरे जन्मदिन का साल लगातार कम होता जाये…
Read more »विभोर अंशुमन सा सहस्त्र आरव हो आलोकित नीरव में मल्हार बजाता । सांध्य की गोधुलि तारक अष्ट दिशा में लाल स्याह रचाता । प्रणय पुष्प प्रस्फुटित मा…
Read more »मजदूर हूँ मजबूर नहीं माना कि मैं मजदूर हूँ पर इसका मतलब ये तो नहीं कि बहुत मजबूर हूँ। मैं हिम्मत ,हौसला रखता हूँ ईमानदारी से श्रम करता पसीना बहाकर कम…
Read more »घुटन की पीड़ा कितना सरल है यह कह देना कि ऐसी बात नहीं है, पर इस सहज भाव को स्वीकार करना बड़ा कठिन होता है, क्योंकि ऐसा सच पर पर्दा डालने जैसा होता …
Read more »जलियांवाला बाग बैशाखी का पावन दिन तारीख तेरह अप्रैल उन्नीस सौ उन्नीस एक सभा हो रही थी रौलेट एक्ट का विरोध हो रहा था। अनायास ही एक अंग्रेज दरिंदा जन…
Read more »मम तात धीर,वीर,गंभीर हृदय ,अनुशासित मेरे तात, निश्छल, विह्वल,कोमल फूलों जस है उनके जज्बात। मेरे पापा नमन करती हूं मैं...... सागर सा गंभीर हृदय है,अ…
Read more »जिंदगी वाह री जिंदगी तू भी कितनी अजीब जाने क्या क्या गुल खिलाती है कभी हंसाती, कभी रुलाती है और तो और कभी जीने तो कभी मरने नहीं देती। जो जीवन चाहता…
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