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आत्म सम्मान

घर में अपने ही कहते है

अपने आप को बदल लो ।

बाहर न सही कम से कम 

मोहल्ले में पंगा मत लो ।


पहले युवावस्था और 

नौकरी का सहारा था ।

बस सच कहने का और

सच बोलने का साहस था ।


रिटायरमेन्ट की इस उम्र में

न जोश है न ही होश है ।

जोर जोर से बोलने में ही

हांफते हो और कांपते हैं ।


वी पी बढने से खुद अपने

आपको संभाल नही पाते ।

बोलने में आपा खो देते हो

गुस्से को संभाल नहीं पाते ।


रिटायर हो गया तो क्या हुआ

सच बोलने की हिम्मत रखते हैं।

सच बोलना सच का साथ देना

आत्म सम्मान से भी जीते हैं ।


आत्म सम्मान से जीने में

क्या और कैसी बुराई है ।

मन के विश्वास में ही तो 

बस सच की ही सच्चाई है ।

              

                  अनन्तराम चौबे अनन्त

                   जबलपुर म प्र