संत कबीर
सरल सहज बोलचाल की भाषा
यही तो कबीर की वाणी थी ।
सभी के दिलों को भा जाती
ऐसी संत कबीर की वाणी थी ।
जीव हत्या व धर्म के नाम पर
होने वाले पाखंड के विरोधी थे।
समाज सुधारक जीवन था
भक्ति काल के कबीर संत थे ।
काम क्रोध लोभ मोह और
अहंकार इन्सान के दुश्मन है।
इन्सानियत से इन्सान को ये
दुर्गुण दूर हमेशा ले जाते हैं ।
कबीरदास के यही विचार
उनकी भावना दर्शाती हैं ।
संतों की वाणी कबीर की
निर्गुणता का भाव दिखाती है।
हिन्दू, मुस्लिम दोनों के
विचारों से दुखी रहते थे।
दोनों के विचारों से असहमति
जताकर खरी खोटी लिखते थे।
कबीर की गूढ़ बातें हमें
अंधेरों से उजाला दिखाती हैं।
ऐसे संत कबीर की वाणी
सबको सच्चा मार्ग दिखलाती है।
संत कबीर के गुणगान करके
शत शत नमन उनको करते हैं।
संत कबीर को याद करके
संत कबीर को प्रणाम करते हैं।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र/2596/
9770499027
