कवि-उदय किशोर साह की कलम से निकली हुई एक कविता....
मैं एक खुली किताब हूँ
मैं एक
खुली किताब हूँ
चेहरा बिन
हिजाब हूँ
ज्ञान की बातें करती हूँ
अज्ञानी को ज्ञानी बनाती हूँ.
मैं एक
खुली किताब हूँ
कहानी कविता में
जवाब हूँ
दर्पण सा स्पष्ट
दिखती हूँ
भेद भाव
किसी से नहीं करता हूँ.
मैं एक
खुली किताब हूँ
सत्य वाण का
प्रहार हूँ
साफ बतियाती हूँ
चापलुसी को दूर भगाती हूँ.
मैं एक
खुली किताब हूँ
सत्य राह की
बिसात हूँ
षड़यत्र के तहत
नहीं रहती हूँ
स्पष्ट कहने की हिम्मत रखती हूँ.
मैं एक
खुली किताब हूँ
अनजाने सफर की
राह हूँ
सत्य मार्ग
दिखलाती हूँ
अच्छाई से रूबरू करती हूँ.
मैं एक
खुली किताब हूँ
ज्ञान विज्ञान की
सौगात हूँ
पाठक पढ लिखकर
बन जाता है
ज्ञानी का तमगा ले आता है.
मैं एक
खुली किताब हूँ
शब्दों में रची
जज्बाती हूँ
गीता रामायण
बन जाती हूँ
ज्ञान की बात समझाती हूँ.
उदय किशोर साह
मो० पौ० जयपुर
जिला बाँका बिहार
9546115088

