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माँ ब्रह्मचारिणी -कविता- सुधीर श्रीवास्तव

 माँ ब्रह्मचारिणी



आदिशक्ति का द्वितीय स्वरूप 

ब्रह्मचारिणी कहलाये,

तपश्चारिणी, उमा,अपर्णा

नाम भी इनके जाने जाये।


कठिन तपस्या के बल पर

भोलेनाथ को पायीं,

तप के कारण तेजपुंज 

मां को मुख पे सुहाए।


अक्षमाला और लिए कमंडल

अद्भुत रूप सुहाए,

लक्ष्य प्राप्ति का सतत परिश्रम 

माँ के मन को भाये।


तप,त्याग, सदाचार, संयम,वैराग्य का

आशीर्वाद लुटाए,

झोली उसकी रहे न खाली

जो माँ के शरण में आये।

   

                              सुधीर श्रीवास्तव

                          गोण्डा(उ.प्र.)

                              8115285921