बड़ा ड़र लगता है बड़ा ड़र लगता है मुझे अपनी परछाई से, जब मैं चलता हूं वो भी चलती है बिलकुल चिपकी हुई। मैं उसे भगा भगा कर थक गया हूं वो कदापि नहीं भ…
Read more »मुक्तक वो घर छोड़कर जाने लगे थे हाथ छुड़ाकर भागने लगे थे जाने क्या थी उनको जाने की खुद को मुझसे हटाने लगे थे। अशोक बाबू माह…
Read more »बारिश थम गयी है पंछी पर फड़फड़ाने लगे हैं चोंच से खुद को संवारने लगे हैं चलो, बाहर निकलते हैं हम भी खेलने करने मौज - मस्ती। बाहर अनेक बच्चे, बूढ़े,…
Read more »वह माँ है उसने आज फिर अपने पर पसार लिये और स्तंभ सी छतरी बन खड़ी हो गयी नन्हें- मुन्ने बच्चों की खातिर, क्योंकि बा…
Read more »हाइकू पेड़ अनेक टूटे पड़े यहाँ- वहाँ सड़क जाम । रोती महिला तमाशा देखें लोग दुखित मन । अशोक बाबू माहौर
Read more »मुक्तक छुप गये सितारे अभी अभी चाँद भी छुप गया अभी अभी करने लगे सवाल कुछ लोग क्यों बढ़ गया तिमिर अभी अभी । …
Read more »हाइकू पैदल चले लोग सड़क पर अजीब बात । खामोश हवा गुनगुनाती नहीं सन्नाटा खूब । अशोक बाबू माहौर
Read more »हाइकु तेज फुहार कड़कती बिजली डरता मन । सुबह हुई जगमग धरती मन प्रसन्न । अशोक बाबू माहौर
Read more »हाइकु धूप किनारे खिसक रही अब बादल छाये । गर्म महीना तपन बड़ रही कंठ सूखता । अशोक बाबू माहौर
Read more »हाइकू दुखती आँखें लगा लिया सुरमा सुखी बदन | ढ़ेरों सवाल कुछ नहीं जवाब तीखे तेवर | आम आदमी नंगे पैर चलता उदासी नहीं | हरित खेती मन पुलकित है आयी बहा…
Read more »हाइकू रोती महिला हँसते लोग सभी आदर कैसा | अपनी गली शेर हम- तुम हैं घुर्राना नहीं | अशोक बाबू माहौर
Read more »हाइकू टूटी दीवार आँखें झाँकती कई बना तमाशा | आँगन छोटा बच्चे हुए उदास खेलते कहाँ | अशोक बाबू माहौर
Read more »हाइकू मैला दर्पण टूटा और चटका टंगा दीवार | महल सूना आसपास अंधेरा ड़र ही ड़र | अशोक बाबू माहौर
Read more »हे ! ईश्वर कौन सा समय आ गया है | विपत्तियों का पहाड़ खड़ा हो गया है| हर तरफ भागमभाग चीखें चिल्लाहटें अपने पाँव पसार रहीं हैं |हाहाकार मची हुयी है| क…
Read more »कश्ती डूबती तेज आँधियाँ चलीं किनारा नहीं | बारिश खूब झमाझम हो रही डूबी सड़क | अशोक बाबू माहौर
Read more »फूल मुरझाया हुआ ड़ाली पर ड़ाली नादान सी समेटे हाथ झुकी भिखारी सी जैसे माँगती भीख हवा से आहिस्ता आहिस्ता | अशोक बाबू माहौर
Read more »पाँव पसार गर्मी पसर रही खूब पसीना | होंठ चलाती कहती अनाप सी गाल फुलाती | अशोक बाबू माहौर
Read more »आदमी, आदमी पर गुस्साया थोड़ा चीखा और चिल्लाया फिर मुस्कुराया हद, तब हो गयी जब, बीच चौराहे पर तमाशा बनाया लोगों ने पूछा - "क्या हुआ भाई ?&qu…
Read more »चूहे ने होली का प्लान बनाया ढेर सारा रंग गधे पर ड़ाला थोड़ा अपने ऊपर लगाया ! गधे ने भी हिसाब किताब लगाया काला रंग चूहे पर जमाया, चूहा सराबोर ठनठनाया …
Read more »खिड़की टूटी हवा आ रही है परदे गिरे | अशोक बाबू माहौर
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