साहित्यिक समाचार
काशी काव्य गंगा मंच की गोष्ठी धूमधाम से मनाई गई।
काशी काव्य गंगा साहित्यिक मंच पंजीकृत की 179 वीं गोष्ठी शनिवार को मेरे कार्यालय श्री…
बत्तखें पानी में तैरती शोर मचाती गाती गुनगुनाती जैसे जमा ली महफिल स्वरों की प्यारी, मधुशाला सी। घास हिलोरे ले नृत्य करती निशब्द सी होंठ चलाती…
Read more »(1)हाथ हथेली लकीरें लम्बी लम्बी चौपट भाग्य। (2)सुबह धूप जल पर चलती नया बुनती। (3)लोग लालची करते मारा मारी भूले संस्कार। …
Read more »घोंसला बुनकर उड़ गयी चिड़िया जैसे सताई हो किसी ने या जगह देखकर टूट गयी आँखें नम सी खामोश गूंगी बहरी बनकर। साथ अधूरा सा अपनाकर आँख…
Read more »आइए बैठिए आइए बैठिए पढ़िए अखबार खबरें ताजा लीजिए चुस्की चाय की गुनगुनाइए गीत हँसिए खेलिए बातें कीजिए प्यार मोहब्बत की आज की कल की ह…
Read more »हाइकु बूढ़े हो रहे घने वृक्ष वन के निराश खडे़। आँखें मलती ड़ालियाँ हरी भरी पत्तियाँ टूटी। अशोक बाबू माहौर
Read more »ऊँचे खयालात में खोयी ऊँचे खयालात में खोयी चिडिया बैठी ऊँचे पेड़ पर भरने ऊँची उड़ान ताकि देख सके दुनिया जज्बा उसके, उंगली दबाये दाँतों …
Read more »हिंदी साहित्य के जाने माने कवि गोपाल दास नीरज का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गाँव में 4 जनवरी 1924 हुआ था।गोपाल दास नी…
Read more »हाइकु शहर बड़ा लोग बहुत सारे भीड़ बहुत। नदियाँ सूखीं तालाब सूखे पड़े पानी नहीं है। अशोक बाब…
Read more »सुबह से शाम सुबह से शाम, शाम से रात तक न जाने कितनी बार उनकी एक झलक पाने आँखें बिछी रहती है। किसी दीवाने की तरह आस लगाये रहती हूँ । …
Read more »जिन्दगी जिन्दगी बड़ी अजीब है कभी हंसाती है कभी रूलाती है पल पल में अपना रूप बदलती है । खुशियाँ तो आती है फिर चली जाती है , जाते ही गम द…
Read more »अभी तो....! समय के साथ मौसम भी बदलते है । अभी तो गर्मी है , बरसात की फुहार आयेगी तब कहीं सुहानी ठंड आयेगी । फिर क्या है ? …
Read more »ये मित्र हैं ये किताब नहीं ये मित्र हैं हम सब की इन्हें सहेज कर रखिए अपना हृदय समझ कर इक्कीसवीं सदी है इनके इस रूप के साकार की…
Read more »घरवाली घरवाली नाम सुनकर पत्नी मायूस हो जाती है इस मार्डन जमाने में घरवाली नाम सुनकर मायूसी सी लगती है । अरे भाई आपकी अपनी पत्नी है । अ…
Read more »जब जीवन का दर्पण देखा जब जीवन का दर्पण देखा भीतर खुद का तर्पण देखा बाहर कितनी छोटी दुनिया अंतस जब उत्कर्षण देखा अग्नि श…
Read more »विश्वासघात विश्वासघात करे जब कोई सीधे दिल पर चोट लगती है। अपने ही अक्सर ऐसा करते हैं यही बात तो खलती है दूर के रिश्तों की छोडो सगे भा…
Read more »पेड़ों की डालियों पर पेड़ों की डालियों पर रोज सुबह लद जाती ओस और झूलने लगती झूला हौले - हौले कभी आसन जमाये बैठ जाती मौन …
Read more »महादेवी वर्मा महादेवी वर्मा एक सुप्रसिद्ध लेखिका एवं कवियित्री थी उनका जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रु…
Read more »गाँव में आज भी गाँव में आज भी दौड़ते बच्चे गाड़ी के पीछे नंगे पाँव! गाँव में आज भी जलाकर अलाव बैठते लोग गढते कहानियाँ! गाँव में आज भी धूप…
Read more »तुम नारी हो खामोश क्यों? loading... तुम्हारे होंठ सिले सिले से तुम नारी हो आधुनिक युग की बढो आगे बढो दिखाओ बल अपन…
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