साहित्यिक समाचार
काशी काव्य गंगा मंच की गोष्ठी धूमधाम से मनाई गई।
काशी काव्य गंगा साहित्यिक मंच पंजीकृत की 179 वीं गोष्ठी शनिवार को मेरे कार्यालय श्री…
लटके हुए अधर पर लटके हुए अधर पर शब्दों से और पुलकित झूमती मोंगरे की डाली से पूछा- क्यों ? प्रसन्नपूर्ण अधर पर चिपके, हल्की हवा से तुम …
Read more »उधर नहीं इधर चल चल उधर चल नहीं इधर चल उधर सन्नाटा खौफ है इधर केवल मौन है I क्यों ? परेशान है डर से केवल सन…
Read more »उदय रवि आभास सुबह उदय रवि आभास चिड़ियाँ चहचाह उठीं डाली- डाली पेड़ों पर भरती उड़ान अम्बर की, माँ ने सजा दी थाली सुशोभित पूजा की घिसन…
Read more »क्या देखा है उस पर्वत की ओर क्या देखा है ? हमने हताश कुछ नहीं, कुछ भी I हाँ देखा है हमने पर्वत को लड़ते तूफानों से …
Read more »अब कहाँ वो दीवालों पर लिखना साफ़ करना पोतना कालिग से दौड़कर आँचल थामना माँ का घूमना सडकों पर गलियों में लड़ना, झगड़ना …
Read more »नभ की ओर नभ की ओर घूर उठ बैठी मिचलाती आँखें बिटिया नन्ही स्पर्श कर देह उसकी मंद समीर कान में मधुर ध्वनि बजाती I आ…
Read more »नारी कर संघर्ष नारी खड़ी हो कर संघर्ष अब संभाल अपने अस्तित्व को विकाश को उठा वीणा लगा नारे लांघ देहरी द्वार को I शाम…
Read more »मधु संताप यूँहीं हरी घास पर मधुमक्खी गुस्सा उतारकर चली गई जैसे चुरा लिया हो कुर्ता इनका मखमल का I गोल घेरे में संताप झेलती परियों …
Read more »उपवन उपवन में महकती रंग बिरंगे पुष्पो की मधुर मधुर सी गंध ! विखेरते सब अपनी निराली छटा वयार बहती जब मंद !! गुलाब जूही, मोगरा, रातरानी …
Read more »भीड़ खचाखच भीड़ खचाखच ट्रेन में फिर भी लोग चिपके जा रहे बहाते पसीना बैठे, खड़े स्तम्भ से सुखाये गला I चिल्लाहट बच्चों की बुजुर्गों और मह…
Read more »उधर खाई से गिरा उधर खाई से गिरा हाँ गिरा बच्चा किसी का और वह चोटिल फफक रहा बहाता आँसू गोलमटोल I किसी ने उसे नहीं रोक…
Read more »बारिश में संघर्ष संध्या हो चुकी थी,बारिश थमने का नाम ही नहीं ले रही I घर टूटा फटा , छत से पानी की बूँदें राह बनाकर टपक रहीं…
Read more »(1)दिव्य आलोक दिव्य आलोक मय ये सुनहली रश्मियाँ प्रभात की शुभ वेला में प्रस्फुटित होते पल्लवों पर जगा रही हैं प्रत्युष मनोहर खिल रहे हैं पुष्प चहुँ…
Read more »परिचय नाम-कवि अशोक बाबू माहौर साहित्य परिचय -विभिन्न साहित्यक पत्रिकाओं जैसे हिंदीकुंज,साहित्य कुंज,साहित्य शिल्पी,स्वर्गविभ…
Read more »परिचय नाम-कवि अशोक बाबू माहौर साहित्य परिचय -विभिन्न साहित्यक पत्रिकाओं जैसे हिंदीकुंज,साहित्य कुंज,साहित्य शिल्पी,स्…
Read more »तांत्रिक की फूँख गाँव में तांत्रिक का दबदबा आम था I वह झाड़ फूँख से लोगों को ठीक किया करता था I सब उसे भगवान की तरह…
Read more »भूल गए नसीहत हरी घासों पर टहलना घूमना सडकों पर कितना दूभर हो गया है I खेद,हमें अंदर भूचाल मचाती आदतें जिन्हें पकड़े हुए व्यस्त खड़े हैं म…
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काशी काव्य गंगा साहित्यिक मंच पंजीकृत की 179 वीं गोष्ठी शनिवार को मेरे कार्यालय श्री…
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